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किसान के कुल्हड़ से-
आज भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के जन्मदिन पर उनका लिखा अद्भुत लेख भारत माता याद आ गया। जिसमे पंडित जी ने परिभाषित किया है कौन है भारत माता? क्या है भारत माता !!?
स्वर्गीय अबीन्द्र नाथ टैगोर के भारत माता के ब्रह्मचारणी स्वरूप से इतर, किन्तु अधिक स्वीकारणीय शब्द चित्र पेश किया है पंडित जी ने, शायद इसलिए ही श्याम बेनेगल ने उस लेख को अपनी कालजयी टी वी सीरीज़ भारत एक खोज के पहले एपिसोड में पेश किया।
पंडित जी उस लेख में लिखते हैं – नदियाँ, तालाब, पहाड़,पशु- पक्षी, खेत-खलिहान और हम सभी मानव सम्मिलित रूप से हैं भारत माता।
इस हम में सबसे महत्वयपूर्ण है कृषक, क्योंकि वही है संपूर्ण राष्ट्र की अन्नपूर्णा। आज जब नोटबंदी है तो वो कृषक जिसने धान बेच कर पैसे जोड़े थे और तैयार कर चूका था गेंहूँ की फसल रोपने के लिए खेत और खुद को, उसकी फसल लेट हो गयी साहब।
आज जब उसे बैल को हल से जोतना था तब वो जुटा हुआ हैं नोट जोड़ने में, ताकि खाद बीज की व्यवस्था कर सके, अगर आपने अंक अर्जित करने के लिए भी कक्षा दस के भूगोल को बस एक बार ही पढ़ा हो तो आपको ज्ञात होगा, भारत का 95% किसान केवल और केवल मौसम के रहम और ईश्वर के करम पर खेती करता है, ऐसे में अगर उसकी फसल 2 महीने लेट हो गयी ना साहब तो हर साल की तुलना में इस साल कहीं ज्यादा किसानों के नाम से पहले लेट लग जायेगा, कटु है किन्तु सत्य है।
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